आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

15 मार्च 2011

बाग़ नहीं आसमान बनो

 किसी ne  कहा हे
खुबसुरत बाग़ ना बनो
बाग़ अगर तुम बने
तो लोग तुम पर
मोर्निंग और इवनिंग वाक् करेंगे
तुम पर खूब चल कर तुम्हें रोंदेंगे
इसलियें खुबसूरत बाग़ नहीं
खुबसूरत आसमान बनों
ताकि लोग तुम्हारी इस खूबसूरती को
दूर से निहारे
तुम्हारी इस आकाश की उंचाई को
खुद भी पाने के लियें कोशिश करें
तुम पर थूकें अगर
तो खुद उन पर नीचे आकर गिरे
इसलियें दोस्र्तों कहते हें के
खुबसुरत बाग़ नहीं
केवल केवल आसमान बनो .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...