राजस्थान में हाल ही में सरकार की लापरवाही और नकली ग्लूकोस सप्लाई के कारण जोधपुर में दो दर्जन से भी अधिक प्रसुताओं की दर्दनाक मोत हो गयी , खबर अख़बारों में चाह्पी गई टी वी चेनलों में दिखाई गयी मुख्यमंत्री जी और स्वास्थ्य मंत्री जी ने दिखावा किया मामला ठंडे बसते में लेकिन सभी संस्थाएं भी इस मामले में खामोश सोचा आखिर राज़ क्या हे .
राजस्थान में सेकड़ों समाज सेवी संस्थाएं महिला वर्ष का रोना रोने वाले लोग और महिलाओं की बेमोत मोतों पर सभी की चुप्पी हो भी केसे नहीं राजस्थान में महिला आयोग तो हे नहीं सरकार ने इसका गठन अब तक नहीं किया हे और दिल्ली में जो राष्ट्रीय महिला आयोग हे उसकी अध्यक्ष गिरजा व्यास राजस्थान से सांसद हें तो उन्हें राजस्थान में महिलाओं की इन मोतों से क्या लेना देना , अब बात करते हें राज्य मानवाधिकार आयोग की यहाँ इस आयोग पर दस लाख से भी अधिक रूपये प्रतिमाह खर्च होते हें दीगर खर्चे अलग से हें लेकिन इन जनाब ने भी महिलाओं की मोत का हिसाब नहीं माँगा बीएस फिर क्या था राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस मामले में खबरों को आधार मानकर गम्भीरता दिखाना पढ़ी और फिर कल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में सरकार और सम्बन्धित लोगो से जवाब तलब किया हे ऐसे में जब राजस्थान का अपना योग हे और राजस्थान के पीड़ितों और उनके परिजनों के लियें यह आयोग खामोश रहे तो ऐसे आयोग को बंद कर देना चाहिए या फिर कोई जवाबदारी तय करना चाहिए ........ . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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