यह फुल
हर सिंघार के
कदम जो चुमते हें तेरे
शुक्रिया अदा कर
खुदा का
आंधियां चलीं
और सारे फुल
तेरे क़दमों में
आ गिरे हें
रोंद ना इन फूलों को
यूँ बेरहमी से
इस तरह
यह तो
किस्मत के मारे हें
जो यूँ ही
एक
हवा के
झोंके में
तेरे कदमों में
आ गिरे हें .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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