आपका-अख्तर खान

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14 मार्च 2011

यह हरसिन्घार

यह फुल 
हर सिंघार के 
कदम जो चुमते हें तेरे 
शुक्रिया अदा कर 
खुदा का 
आंधियां चलीं 
और सारे फुल 
तेरे क़दमों में 
आ गिरे हें 
रोंद ना इन फूलों को 
यूँ बेरहमी से 
इस तरह 
यह तो 
किस्मत के मारे हें 
जो यूँ ही 
एक 
हवा के 
झोंके में 
तेरे कदमों में 
आ गिरे हें . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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