आपका-अख्तर खान

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14 मार्च 2011

यह सपने

उनकी यादों के 
यह मासूम 
हसीन सपने 
अबतो जिए नहीं जाते 
सोचते हें 
कम कम लगाकर 
उन्हें 
अब मेरी जिंदगी से 
कांटे की तरह 
निकल कर 
बाहर फेंक दूँ . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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