आपका-अख्तर खान

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26 मार्च 2011

साथ जो निभाते हें ..........

यह आंसू 
बड़े 
हाज़िर जवाब 
होते हें 
मेने इनसे पूंछा 
क्यूँ मेरा 
मजाक उडवाते  हो 
न लोगों को देखते हो 
न वक्त देखते हो 
रोकने की कोशिशों के बाद भी 
सबके सामने चले आते हो 
आंसुओं ने 
बेबाकी से कहा 
हम तुम्हारे दोस्तों 
तुम्हारे प्यार की तरह 
बेवफा हरगिज़ नहीं 
जब भी महफिल में 
अकेला देखते हें तुम्हे 
बस यूँ ही 
यादों की तरह 
तुम्हारा साथ निभाने 
आ जाते हें .   
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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