फुल भी
बढ़े
अजीब
होते हें ,
बिछा कर
इन्हें
जब लोग
सोते हें
तब
यह खुद को
सुहाग
की
सहेज कहते हें
यही फुल
जब
किसी के ऊपर
होते हें
तो यह
खुद को
अर्थी
पर सजे
फुल कहते हें
यह फूलों की
फितरत हे
नेताओं के
गले में हो तो
माला कहते हें
और शहीद के
शव पर हो
तो वीर चक्र कहते हें
यह फुल भी
कितने अजीब होते हें
सुहाग पर हों
तो इनका जीवन
पूरी रात होता हे
नेता के गले की माला हो
तो बस कुछ क्षण कुछ पल
होती हे
इनकी जिंदगी
फिर तो यह फुल
यूँ ही
बिखरे हुए
लोगों के पेरों में पढ़े
होते हें
....................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यह फूलों की
जवाब देंहटाएंफितरत हे
नेताओं के
गले में हो तो
माला कहते हें
और शहीद के
शव पर हो
तो वीर चक्र कहते हें
.
अति सुंदर अख्तर साहब
बहुत सुन्दर रचना ।
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