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22 मार्च 2011

डोक्टर अब मरीजों की चमड़ी ज़्यादा उधेढ़ सकेंगे

डोक्टर अब मरीजों की चमड़ी ज़्यादा उधेढ़ सकेंगे  सरकार ने इस मामले में एक आदेश जरी कर सभी डॉक्टरों को घर देखने की फ़ीस बढाने की छुट दे दी हे . सरकार के नये आदेशों के तहत डोक्टर अब घर पर मरीजों को देखें के लियें ४० से ६० रूपये के बदले १०० से २०० रूपये तक प्रति मरीज़ ले सकेंगे . 
चिकित्सक पिछले कई दिनों से हडताल और प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन सरकार इनकी सुनवाई नहीं कर रही थी अब सरकार ने चिकित्सकों की सुनी भी तो उसका भर जनता पर डाल दिया हे घर पर दिखने वाले मरीजों से वेसे तो पहले ही फ़ीस निर्धारित थी लेकिन सब जानते हें के घरों पर मरीजों से मनमानी फ़ीस वसूली जा रही थी कोई भी चिकित्सक किसी भी मरीज़ को कभी भी रसीद नहीं देता हे चिकित्सा परिचालन नियमों के तहत २००२ में केंद्र सरकार ने चिकित्सकों के लियें जो मर्यादित आचरण बनाये हें उसके तहत हर चिकित्सक जो घर पर मरीज़ देख रहा हे एक तो अपना रजिस्ट्रेशन नम्बर बाहर लिखेगा खुद के पर्चे पर यह नम्बर छपवाएगा दुसरे जो भी फ़ीस लेगा उस फ़ीस की रसीद देगा रजिस्टर में एंट्री करेगा और अनावश्यक दवाये नहीं लिखेगा केवल साल्ट ही लिखेगा ताकि मरीज़ कमिशन की महंगी दवाओं के नाम पर दोहरी और जांचों के नाम पर तीहरी लुट का शिकार नहीं हो डॉक्टरों के लियें यह भी नियम हे के वोह सभी मरीजों के इलाज के पर्चे और दवाएं  जो लिखी गयी हें उसका रिकोर्ड संधारित करेंगे ताकि जब भी आवश्यकता हो उसकी नकल रख सकेंग और एक निर्धारित समयावधि तक इस रिकोर्ड को चिकित्सकों के लियें रखना अनिवार्य हे कानून में लिखा हे के अगर चिकित्सकों द्वारा इन नियमों का उलंग्घन  किया जाता हे तो ऐसे चिकित्सकों की प्रेक्टिस करने का लाइसेंस मेडिकल कोंसिल ऑफ़ इंडिया छीन सकती हे , ताज्जुब हे के सरकारों ने इस मामले में आज तक कोई सख्ती नहीं की हे ना ही इस व्यवस्था को लागू करवाने के लियें कोई नियम बनाये हें इससे लगता हे के सरकार जनता को चिकित्सकों के सामने कसाई बनाकर बकरे की तरह से डाल रही हे ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. मजबूर कि ज़रुरत का फ़ाएदा सभी ले रहे हैं, डॉ हो या वकील. सरकार के पास केवल कानून हैं , इस मसले का हल निकलने कि चिंता नहीं.
    .
    अर्रे यह क्या कह गया अख्तर भाई आप तो वकील हैं. आप अलग मिसाल हैं इसलिए इसमें आप शामिल नहीं

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  2. maasum bhai apne jo likhaa he sch yahi he isse bhaagne se koi fayda nhin he sch rhegaa to shayd kuchh sudhar ho ... akhtar khan akela kota rajsthan

    जवाब देंहटाएं

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