आपका-अख्तर खान

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14 मार्च 2011

यह जिंदगी हसीन लगती हे

तेरे बिना 
अब तो 
मुझे यह जिंदगी 
बहुत हसीं लगती हे 
ना चाहत 
ना तदपन 
न इन्तिज़ार तेरा 
बस यह ज़िदगी हे 
जो तेरे बिना 
बहुत बहुत हसीं लगती हे 
जिंदगी में अब 
ना आंसू हें 
ना रोना हे 
एक पत्थर हे यह जिंदगी 
ना खुशबु हे 
ना जीने की चाहत 
न हे म़ोत की परवाह 
यह जिंदगी 
तेरे बिना 
बहुत हसीं लगती हे 
तू चली भी गयी 
जिंदगी से मेरी तो क्या 
देख ले जी रहा हूँ 
तेरे बिना 
बस यूँ ही 
फिर भी 
यह जिंदगी 
हसीं लगती हे तेरे बिना . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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