आपका-अख्तर खान

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09 मार्च 2011

आज मेरी जिंदगी का बीसवां काला दिवस हे

दोस्तों आज मेरी जिंदगी का बीसवां  काला दिवस हे आज के  दिन ही में एक खतरनाक महिला के साथ बेड़ियों में जकड़ा गया था हंसी हंसी में में खुद उम्र केद की सजा मंज़ूर कर रहा हूँ यह में सपने में भी नहीं सोच पा रहा था मीठा लड्डू खाने के चक्कर में में धोखे में आ गया . 
१० मार्च १९९१ का वोह काला दिन मुझे मोत के मुंह में धकेलने , मेरी जिंदगी   उम्र भर के लियें केद करने के लियें लोग एकत्रित हुए नाचे गाये मुझे घोड़ी पर बिठाया गया और फिर हमें राजस्थान के ही नवाबों की नगरी टोंक ले जाया गया वहां एक रिजवाना नाम की खतरनाक एब्दार लडकी को मेरा इन्तिज़ार था जी हाँ इस महिला का नाम रिजवाना स्कुल का हे लेकिन अकिकी नाम रईसुन्निसा  रखा गया था निकाह इसी नाम  से हुआ मेरा भी निकाह अकिकी नाम अजहर से हुआ अब मेरा नाम तो अख्तर खान अकेला और जो मेरे साथ जेलर बना कर उम्र केद की सजा भुगताने के लियें भेजी गयी उसका नाम रिजवाना हमारे पास निकाहनामा अजहर और रईसुन्निसा का अब बताओ हम क्या करें खेर रस्मों के नाम पर मुझे उल्लू बनाया गया सालियों और सलेजों ने बेवकूफ बनाकर बीवी मुट्ठी खोल में तेरा गुलाम कहलवाया और बस तबसे आज तक में भुगत रहा हूँ . 
मेरी यह जो जेलर हे कहने को तो टोंक नवाब साहब की भतीजी हे माशा अल्लाह तीन भाई और चार  बहनें और हें सभी खतरनाक हे मेरी इस बर्बादी के बाद मेरे दो छोटे साले कमर और फर्रुख थे सो मेने भी उन्हें बर्बाद करने की ठानी जयपुर के हमारे साडू इकबाल खान साहब और सलेज रुखसाना ,टोंक के साडू बड़े दादा और रिसर्च ऑफिसर सलेज नादिरा ने मिल कर षड्यंत्र किया और साले कमर को एक खतरनाक सलेज  वफरा  से फंसा दिया बेचारे एक हंसते खेलते साले की बोलती बंद हे सलेज जादूगरनी हे हजारा पढती  हें सो उन्होंने हमारे साले पर पढ़ कर फूंका अब वोह हुक्म के गुलाम हे मुझे लगा मेरे आंसू पोंछने वालों में अब एक और शामिल हो गये हें फिर दुसरा छोटा साला फर्रुख थे बस उनके खिलाफ भी षड्यंत्र रचा और उन्हें मिस यूनिवर्स तबस्सुम से उलझा दिया अब इस बेचारे की तो क्या कहूँ बस आप खुद ही समझ जाओ मेरे पास कहने के लियें अलफ़ाज़ नहीं हे बढ़े साले हें जिन्हें भय्या कहते हें बाहर पुरे टोंक में शेर समझे जाते हें लेकिन घर में हमारी सबसे बढ़ी सलेज अफशां के सामने उनकी घिग्घी बन जाती हे कुल मिला कर हम सभी साडू और साले बहनोई एक ही दर्द के मारे हें हमारे सास ससुर बाल ठाकरे और मुल्लानी जी हमारे इस हाल पर हमारा मजाक उडहाते रहते हें हम खामोश गर्दन झुकाए बेठे रहते हें . 

इस खतरनाक जेलर के बारे में में आपको बताऊं यह कोटा में उर्दू की लेक्चरार हें और बच्चों को पढाती हे इसलियें वही  लहजा वही डांटने का अंदाज़ घर में चलता हे आप अंदाजा लगायें में किन हालातों में सांस ले रहा होउंगा मेरी बोलती बंद हे इसी उठा पटक में मेरे इस जेलर ने मूल के साथ तीन ब्याज दिए पहला लडका शाहरुख खान जो ट्वेल्थ का एक्जाम दे रहा हे आई आई टी की तय्यारी कर रहा हे अगर आपकी दुआ लग गयी तो उसका सेलेक्शन हो जाएगा , एक बच्ची जवेरिया नाइंथ में हे जबकि एक प्यारी  बिटिया सदफ अख्तर जो अभी फर्स्ट में पढ़ रही हे . 
जेलर जिसके हंटर से मेरी बोलती बंद हे उसकी जुबां कभी अगर चलती हे तो केंची से भी खतरनाक होती हे मोहल्ले और परिवारों में उसने जादू करके खुद को अच्छा साबित कर रखा हे मेरे पापा हाजी असगर अली खान को भी उसने वक्त पर खाना चाय नाश्ता दे कर पता रखा हे हमारी मम्मी रशीदा खानम हे बस इस जेलर की केंची के आगे उनकी तो बोलती बंद हे एक भाई परवेज़ खान जो सुधा अस्पताल में मेनेजर हे उसकी बीवी रूबी भी टोंक की हे इसलियें इनकी यूनियन जिंदाबाद हो रही हे और दोस्तों में अकेला पढ़ जाने से अख्तर खान अकेला हो गया हूँ और यह जेलर मुझ पर हावी हे अब मेरे लियें तो खुदा खेर करे हे ना मेरी दर्द भरी कहानी जो आज काला दिवस के दिन नई हो गयी हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

4 टिप्‍पणियां:

  1. भाई अख्तर ख़ान साहब ! पहली बात तो यह है कि आपके साथ यह दुर्घटना ब्लॉग जगत के बाहर घटी है इसलिए हरेक ब्लॉगर या ब्लॉगरनी सर्वथा दोषमुक्त है और इस अख़बार 'ब्लॉग की खबरें' को भी आप हमारी भाभी की ख़ूबियों को ख़ामियाँ बताने के लिए इस्तेमाल न ही करते तो ठीक था । हमें उनके हाथ के पराँठे खाने हैं चाँटे नहीं ।
    अब
    मैं बहल्फ़ बयान करता हूँ कि उर्दू एक अच्छी ज़ुबान है और हमारी भाभी साहिबा के रहते आपको जिंदगी भर किसी मुशायरे में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी । तीन सामईन तो माशा अल्लाह घर में ही हैं , सो उन्होंने अपनी वाह वाह करने वाले भी ख़ुद हाज़िर कर लिए और ज़्यादा चूं चपड़ की तो कुनबा भी माशा अल्लाह बड़ा है । बस अब चुपचाप 100 साल पूरे कर लीजिए। इस कैद से आपको कोई मुक्ति न दिला पाएगा । सारे बेचारे जज भी आपकी ही तरह छटपटा रहे हैं और हमारी तरह अपने अपने जेलर के तलुए आदि सहला रहे हैं ।
    मुबारक हो सबको !
    ईमान के साथ मालिक आपको नेकी पर क़ायम रखे।

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  2. shukriyaa shukriyaa anvr bhaai . akhtar khan akela kota rajsthan

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  3. उर्दू एक अच्छी ज़ुबान है मगर मेरी उसपर पकड नहीं है. इसलिए हम तो भाई अपनी टूटी-फूटी हिंदी में ही शादी की सालगिरह की मुबारकबाद प्रेषित करते हैं. आपको शादी की 20 वीं सालगिरह मुबारक हो.खुदा से दुआ करते है आपको इस जेल से कभी आजाद ही न करें.

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  4. मियां इतनी अच्छी बीवी मिली है और हम सब को बना रहे हो बेवकूफ. बहरहाल मुबारकबाद कुबूल कीजे.

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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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