देश के सांसद अब अपने लोकसभा क्षेत्र में विकास कार्यों पर दो करोड़ के बदले पांच करोड़ खर्च कर सकेंगे इस व्यवस्था पर प्रति वर्ष २३७० करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का अतिरिक्त भार पढ़ेगा .
देश में अभी तक संसद कोष दो करोड़ रूपये का होने से उसे खुद के इलाके में मनचाहा विकास कराने में दिक्कतें आ रही थी लेकिन इस राशी को अगर निरंकुशता या अफसरशाही के इशारे पर खर्च की गयी तो देश का बनता धर हो जाएगा . संसद के कहने पर विकास अच्छी बात हे लेकिन सांसद अगर राजनितिक पार्टी के कार्यकर्ता की तरह यह सब करने लगेगा तो फिर विपक्ष के लोगों के क्षेत्र में तो विकास ही नहीं होगा और फिर सरकारी कर्मचारी या अधिकारी इस मामले में अगर भ्रष्टाचार करना चाहेंगे तो फिर तो वोह इसे आसानी से कर सकेंगे खेर फिलहाल तो सभी सांसद इस निधि को बढाने से बहुत खुश हे , सिद्धांतों के तहत तो किसी भी विकास की ज़िम्मेदारी योजना आयोग की होती हे और इस योजना आयोग में अगर विकास योजनायें नहीं होंगी बिना बजट के बिना प्लान के अगर इतनी बढ़ी राशि खर्च करने की बंदर बाँट होती रही तो फिर देश और देश की जनता तो बर्बादी के कगार पर ही पहुंच जायेगी . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यही होता ही है यहां ...ठीक लिखा है आपने...
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