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12 मार्च 2011

गाँधी जी की दांडी यात्रा

कोटा में गांधी विचारधारा से जुड़े कोंग्रेस जनों ने कल १२ मार्च को गांधी जी की दांडी यात्रा स्मरति में दांडी मार्च निकलाने का मन बनाया कोंग्रेस के नरेश विजयवर्गीय ने करीब दो सो से भी अधिक फोन किये अख़बार में प्रकाशन किया गया लेकिन गिनती के लोग इस यात्रा में पहुंचे . 
कोटा कोंग्रेस कार्यालय पर गाँधी दर्शन और दांडी यात्रा पर एक गोष्ठी भी रखी गयी इस गोष्ठी में केवल दो दर्जन लोग जिनमे कोंग्रेस के पदाधिकारी और अग्रिम सन्गठन के लोग भी नहीं शामिल हुए अगर यह लोग आधे भी शामिल हो जाते तो कोंग्रेस कार्यालय में पाँव रखने की जगह भी नहीं होती खेर कोंग्रेस के प्रवक्ता और गाँधी विचारधारा के प्रचारक पंकज मेहता ने इस मामले में गांधी की विचारधारा पर व्याख्यान दिया बाद में अहिंसा परमो धर्म के इस विचारक की गोष्ठी से उठते ही कुछ कोंग्रेसी आपस में ही लड़ने लगे तब मेने सोचा क्या यही गाँधी का प्रभाव हे जिस गांधी ने लाठी और लंगोटी के बल पर स्नव्य्म त्याग का भाव पैदा क्र खुद को महात्मा बना लिया और केवल बोली के बल पर ही बिना किसी गोली के देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करा दिया जो गाँधी भारत देश का गर्व हे गोरव हे जिसने देश को तिरंगा दिया अह्निंसा का पाठ और एकता का सूत्र दिया जिस गाँधी की वजह से आज देश का विश्व में गोरव हे उसी गाँधी को आज देश भुलाता जा रहा हे केवल मुन्ना भाई एम बी बी एस  और एक अन्य फिल्म की कामयाबी के बाद देश ने गांधी की विचारधारा के बारे सोचा हे और देश ने कई युनिवर्सिटियों और विभागों में अरबों रूपये का बजट पारित किया हे लेकिन सभी बजट आज खत्म पैसा हजम खेल खत्म की तर्ज़ पर गांधी की विचारधारा हे गाँधी को केवल मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी के रूप में प्रदर्शित किया जाता हे उन्होंने सभी धर्मों को जिया था अंगीकार किया था और मानवता के सबसे बढ़े कार्यकर्ता बन गये थे , देश में दांडी यात्रा के पीछे उनका उद्देश्य अंग्रेजों की अवज्ञा तो करना ही थी लेकिन वोह खुद अपना नमक बना कर खाना चाहते थे ताके अंग्रेजों के नमक के नाम पर वोह नमक हराम नहीं कहलायें और खुद का नमक खाकर नमक हलाल कहलाये वोह इस नमक की मिलावट से तंग थे जो भारतियों के स्वस्थ को नुकसान पहुंचा रहे थे बस इसीलियें उन्होंने दांडी यात्रा निकाल नमक पर जीत हांसिल की थी .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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