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25 मार्च 2011

खिदमतगार को कुछ इनाम दे दो

तुम्हें पता हे 
कई वर्षों से 
में तुम्हारा 
खिदमतगार हूँ 
कई सालों से 
में तुम्हारा 
सिर्फ तुम्हारा 
तलबगार हूँ 
मेरी इस 
चाहत के बदले 
आज मुझे 
बस इतना इनाम दे दो 
वोह देखो 
आशियाना जल रहा हे 
तुम्हारी याद में मेरा 
थोड़ा जल्दी जल जाए 
इसलियें उठो 
बस वहां थोड़ी से हवा दे दो 
में तुम्हारा खिदमतगार 
तुम्हारा तलबगार रहा हूँ 
बस मुझे माँगा हे जो मेने 
वोह इनाम दे दो ................... 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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