में शमां हूँ
तो क्या
तुम परवाने हो
मेरा क्या
में तो बस
एक रात
में ही जल कर
बुझ जाउंगी
फिर नई रात आएगी
नई शमा आएगी
उढ़ते हुए परवानों को
पास बुलाएगी
और फिर
उन्हें
तडपा तडपा कर
जलायेगी
तुम तो खुदा हो
रोक सकते हो तो रोक लो
बरसों से
चल रहे इस सिलसिले को
नहीं ना
नहीं रुकता हे
यह सिलसिला
तो फिर क्यूँ
यूँ ही मुझे
दोष देते हो
रात के अंधेरों में
मुझे जला कर
जिंदगी खुद की रोशन यूँ क्यूँ करते हो ............ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 फ़रवरी 2011
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तुम तो खुदा हो
जवाब देंहटाएंरोक सकते हो तो रोक लो
बरसों से
चल रहे इस सिलसिले को
...
chup n raho , kuch kaho yaa niruttar ho gaye ?
bahut achhi rachna ... kripya vatvriksh ke liye mail karen
घबरा जायेगा बेचारा शायद इसलिये निरुत्तर हो गया…………सुन्दर अभिव्यक्ति।
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