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23 फ़रवरी 2011

अफजल गुरु से भी बढ़ी गुरु तो सरकार निकली

दोस्तों देश और विपक्ष अफजल गुरु की फांसी का नारा दे रहा हे अफजल गुरु की दया याचिका राष्ट्रपति के यहाँ से खारिज कराने का विपक्ष और खासकर भाजपा और शिवसेना का जबर्दस्त दबाव रहा हे यहाँ तक के इसे चुनावी मुद्दा बनाया गया हे मिडिया इस मामले में सीधा सम्बन्धित रहा हे लेकिन खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वाला मामला साबित हुआ हे ।
अफ़सोस दर अफ़सोस भारत के इतिहास में ऐसा पहला वाकया नहीं कई और मामले भरे पढ़े हें जिनकी तरफ सरकार और मिडिया विपक्ष का ध्यान नहीं हे अफजल गुरु को ४ अगस्त २००५ में फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम रूप से सुनाई थी और उसने केंद्र सरकार को राष्ट्र पति जी तक पहुँचने के लियें एक दया याचिका दी थी जो आज तक भी राष्ट्रपति जी तक नहीं पहुंची हे अब केंद्र सरकार का विधि विभाग क्या हे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हे ।
यह सही हे के अफजल गुरु के फेसले में वैधानिक कई अनियमितता हें सबसे बढ़ी अनियमितता तो यह हे के उसे उसके बचाव के लियें संविधान के प्रावधानों के तहत कोई वकील सरकारी खर्च पर उपलब्ध नहीं कराया गया और बिना अब्चाव का अवसर दिए उसे दंड दिया गया हे लेकिन अब यह फेसला सुप्रीम कोर्ट का था इसलियें सरकार को गलती सूधारने का अवसर नहीं मिलता हे हाँ कसाब के मामले में सरकार ने इस भूल को सुधार हे और इसीलियें कसाब को बचाव के लियें भारतीय कानून और विधान के तहत सरकारी खर्च पर वकील उपलब्ध कराया गया हे लेकिन अफजल गुरु को बिना कानूनी बचाव के फांसी की सज़ा का आदेश होने पर भी अब मेरिट पर बचाव का कोई रास्ता नहीं हे बस शायद सरकार को यह खतरा हे के विधि और संविधान के रक्षक महामहिम राष्ट्रपति के विधि विशेषज्ञों ने अगर इस घोर अन्याय का खुलासा कर दिया तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार मुसीबत में पढ़ जायेगी और भारतीय न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठ खड़े होंगे इसलियें इस दया याचिका को सरकार ने रोक लिया लेकिन यह देश की जनता के साथ विश्वास घात हे कोंग्रेस के प्रवक्ता खुद इस दया याचिका पर आरोप लगें के बाद जवाब देते रहे हें के राष्ट्र पति के यहाँ यह याचिका पेंडिंग हे तो फिर यह गलत फहमी वाले बयान सरकार और उसकी पार्टी के प्रवक्ता ने ऐसे बयान किन आधारों पर जारी किये देश को अफजल गुरु के नाम पर इनता बढ़ा धोखा देकर सरकार अब अफजल गुरु से भी बढ़ी गुरु साबित हो गयी हे जिसका अपराध इस मामले में अक्षम्य हे लेकिन क्या करें जनता का राज हे यानी जनता का जनता के लियें जनता द्वारा शासन स्थापित हे और जब शासक जनता हो और शासक जनता हाथ पर हाथ धरे बेठी रहे तो फिर अपराधी तो शासक जनता ही हे ................ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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