राजस्थान में हाईकोर्ट जज भगवती प्रसाद शर्मा की एक वकील के खिलाफ कानून बताने पर न्यूसेंस करने की टिप्पणी के बाद वकील और जज में भिडंत हो गयी जब बात बढ़ गयी तो जज साहब ने तो पुल्लिस बुला ली और वकीलों ने आक्रामक रुख अपनाते हुए जज के चेम्बर में तोड़ फोड़ की ।
राजस्थान के न्यायिक इतिहास में ऐसी घटनाएँ नई नहीं हें आजकल वकील और जज में न्यायिक अव्यवस्था के चलते दूरियां बढती जा आरही हे वकील अदालतों में कोई भी कानून अगर पेश करे हाईकोर्ट सुप्रीमकोर्ट के द्र्स्तांत पेश करे तो उन पर अदालतें तवज्जो नहीं देती हें खासकर जमानत जो किसी भी आरोपी का संवेधानिक अधिकार हे उसमें तो जज और मजिस्ट्रेट अपने विविकाधिकार का जमानत ख़ारिज करने में ही दुरूपयोग करते हें आजकल मामला छोटा सा होता हे लेकिन अगर पूर्व मामलों की सूचि होती हे तो अदालत इस नये मामले के तथ्यों पर टी नहीं जाती हे केवल पुराने मुकदमे हें इसी आधार पर जमानतें ख़ारिज कर देती हें इन मामलों में न्याय कहां हे , कानून कहता हे के प्रत्येक मामले के तथ्यों को देख कर ही फेसला किया जाना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा हे राजस्थान की जिला अदालतों खासकर कोटा की अदालतों और कोटा के मामलों में हाईकोर्ट के जमानत मामलों के आदेशों की सुप्रीम कोर्ट अगर अपने स्तर पर समीक्षा करवाए तो सुनवाई और आदेश में विवेकाधिकार के दुरूपयोग की खुद गंध नजर आ जायेगी बस वकील चाहता हे के उसे उसके पक्षकार की तरफ से सारी बात कहने और कानून बताने का पूरा अवसर दिया जाए लेकिन जज कहते हें हमारे पास वक्क्त नहीं हे वकील फ़ालतू बकवास करते हें तो फिर इन्साफ कहां रहा कल की राजस्थान हाईकोर्ट की घटना इसी गुस्से का नतीजा हे और इस व्यवस्था को सूधारने के लियें सभी न्यायालयों में कमरे लगना जरूरी हे ताकि क्या हो रहा हे जज क्या कर रहा हे वकील पक्षकार क्या कर रहे हे उसकी असली तस्वीर कमरे में केद हो और दोषी जो भी हो उसे दंडित किया जा सके । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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