आपका-अख्तर खान

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27 फ़रवरी 2011

वायदा तो क्या था .......... .

वायदा तो क्या था
रौशनी रहेगी
घर घर में
लेकिन यह क्या
जो चिराग रोशन थे
शहर में
दूर अँधेरे
करने के लियें
आज सियासत का
सियाह चेहरा
नजर ना आजाये कहीं किसी को
बस इसी लियें
बुझा दियें हें
जलते हुए चिराग
राजनीती के लियें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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