आपका-अख्तर खान

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16 फ़रवरी 2011

तुने जो कहा वही किया हे मेने

देख लो
तुमने जो कहा
हर वक्त
वही तो
क्या हे मेने
तुने जो सोचा
वही तो सोचा हे मेने
क्यूँ किस लियें ऐसा क्या मेने
आज बढ़े रुआब से पूंछते हो
तो सुनो
मुझे तुमसे तुम्हारी धडकनों से
प्यार हे
जो दिल धडकता हे
तुम्हारे सीने में
वोह मुझ से मिलन के लियें
बेकरार हे
मुझ से किसी ने कहा था
यह खालिस धडकता दिल नहीं
इसमें मन्दिर हे इसमें मस्जिद हे इसमें गुरुद्वारा चर्च हे
इसलियें सोचता रहा इसमें
सभी धर्मों के भगवान हे
बस इसीलियें में
इस दिल की
पूजा कर रहा हूँ
जो चाहा
तुम्हारे इस दिल ने
इसे वोह
दिए जा रहा हूँ
वरना शक्ल का क्या
जिस्म का क्या
कभी चेहरे पर दाग होगे
कभी शरीर लूला लंगडा होगा
आँखे कभी देख सकेंगी कभी नहीं
तो फिर जिस दिल में भगवान हे अल्लाह हे वाहे गुरु इशु हे
उस दिल की चाहत
पूरी की हर वक्त मेने
तो बतलाओ
क्या गुनाह किया हे मेने ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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