आपका-अख्तर खान

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28 जनवरी 2011

सुबह बहतरीन क्यूँ हे .........

यह सुबह आज
इतनी रंगीन सी
क्यूँ हे ,
दिल में
सोच तुम्हारे
आज इतनी
संगीन सी
क्यूँ हे
यह सुबह आज
इतनी रंगीन सी
क्यूँ हे
दिल में जो तूफ़ान हे
तुम्हारे
उससे आज फिर
चेहरा तुम्हारा
इतना गमगीन सा
क्यूँ हे
कत्ल खुद ने क्या हे
अपने जज्बातों का
फिर भी
माहोल
इस घर का
इतना बहतरीन
क्यूँ हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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