आपका-अख्तर खान

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23 जनवरी 2011

तिरंगे की अस्मत क्यूँ करते हो तार तार ....

दोस्तों यह मेरा हिन्दुस्तान हे यहाँ लोग तिरंगे से प्यार तो करते हें तिरंगे का सम्मान तो करते हें लेकिन कुछ हे जो तिरंगे से जलते हें छिड़ते हें इसका उपहास मजाक उड़ाते हें तो कुछ हें के तिरंगे पर राजनीती करते हें और इस तिरंगे के नाम पर खुद की छवि खुद सो कोल्ड राष्ट्रीयता की बनाना चाहते हें सारा देश जानता हे के भाजपा और इसके पूर्व भाजपा की जननी पार्टियां विचारधाराएँ देश में क्या करते आये हें देश में गायें से लेकर बछड़े तक और पानी से लेकर मन्दिर मस्जिद इंसानियत तक को यह लोग राजनीति से जोड़ते आये हें इन ओगों को कभी महंगाई से जूझती पीड़ित जनता का दर्द नजर नहीं आया कभी इन लोगों ने इस देश की मुख्यधारा में खुद को शामिल नहीं किया खेर खुदा ने बिल्ली के बाग़ से इनके हक में छीका भी तोड़ा हे और और यह लोग १३ दिन १ महीने और पुरे पांच साल शासन में रहे हें इसके पहले भी गठ्बन्धन में सरकार में यह लोग रहे हें आज इस देश में नफरत के जो भी बीज हें वोह सब इस पार्टी से जुड़े लोगों ने ही इस देश में बिखेरे हें जो आतंकवाद के रूप में एक बढ़ा संकट कालीन पढ़ बन गया हे प्रज्ञा और असिमान्न्द जेसे लोग इसी का नतीजा हें खेर मेरे इस देश में जब जब इन लोगों की सरकार रही इन्हें ना तो मन्दिर याद आया ना ही इन्हें कश्मीर में ३७० हटाने का मामला याद आया इतना ही नहीं लाल चोक श्रीनगर में तिरंगे का मामला इन्हें खुद के सत्ता में रहते कभी याद नहीं आया तिरंगा क्या होता हे इन्हें पता नहीं लेकिन जब जब भी यह पार्टी सत्ता से अलग होती हे तो सत्ता तक पहुँचने के लियें इस पार्टी ने यह खतरनाक रास्ता अपना लिया हे पहले मुरली मनोहर जोशी जी थे जो लाल चोक पर तिरंगा फहराना चाहते थे फिर इनकी सरकार आ गयी तब इन्होने केंद्र में खुद की सरकार होते हुए क्यूँ लाल चोक पर जाकर झंडा नहीं फहराया इस सवाल का जवाब इनके पास नहीं हे लेकिन आब सत्ता से दूर रहें के बाद यह लोग मानसिक रोगी हो गये हें और अराजकता पैदा करने के लियें यह सब नाटक किया जा रहा हे दोस्तों अगर इन लोगों के सत्ता में रहते हुए लाल चोक पर तिरंगा नहीं फहराने का संकल्प था तो फिर सत्ता से दूर होने के बाद आखिर कोनसा बदला हे जो अब यह ऐसा करने के लियें प्रपंच रच रहे हे ।
यह तो बात हुई राजनीति की अब हम बात करते हें तिरंगे की तिरंगा जिसके लियें देश में हजारों लोगों ने अपनी आहुति हे खून बहाया हे उस तिरंगे को अगर यह लोग यूँ सडकों पर तमाशा बना कर अपमानित करते हें तो फिर देश में नेशनल ओंर एक्ट का क्या होगा देश की ध्वज संहिता का क्या होगा जिसमें तिरंगे को किस तरह से कहां इस्तेमाल किया जाएगा कानूनी तोर पर लिखा गया हे और इस का उल्न्न्घं करने पर ऐसे दोषी लोगों को ओद्न्दित करने का प्रावधान हे अब सरकार ऐसा तो नहीं करती फिर इन लोगों को तिरंगे की बात करने का हक खाना रह जाता हे जो लोग अपनी पार्टी कार्यालयों पर तिरंगा नहीं फहराते जो लोग तिरंगे का स्वरूप बदल देने के लियें संकल्प बद्ध हें उनका तिरंगे से क्या लेना देना , लेकिन सरकार चाहे कोई सी भी हो सभी इस मामले में राजनीति कर रही हे अरे लाल चोक हमारे भारत देश में हे और वहां अगर सरकार खुद भी तिरंगा फहराए तो क्या बुराई हे लेकिन यह मेरा देश हें यहाँ तिरंगा हो चाहे कुछ भी हो दुरंगे लोग इस पर राजनीति कर इसके मां समान को कम करने के प्रयासों में जुटे हें जिन्हें जनता को एक जुट होकर ध्वज संहिता के उल्लंघन और नेशनल ओंर एक्ट के प्रावधानों के तहत अपराध करने पर जेल भिजवाना चाहिए जो लोग तिरंगे की बात करते हें उनसे अगर पूंछा जाए के तिरंगा कब अमल में आया इसका इतिहास किया हे तो बगलें झाँकने लगेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. really this is very bad habits and lowest leve of politice iin which politisian are included our respective "tiranga".
    i think its the time when we will collectivily oppose for this .

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