आपका-अख्तर खान

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29 जनवरी 2011

साथ साथ नहीं ........

दोस्तों
काम नहीं करने का बहाना
और
कामयाबी
कभी साथ साथ खड़े नहीं रह सकते ।
अगर आप कामयाबी चाहते हे तो आपको
काम नहीं करने के मामले में
बहाने बाज़ी करना तो छोड़ना ही होगा
वरना कामयाबी खुद
आपके दरवाज़े पर
दस्तक देने के मामले में माफ़ी मांग लेगी ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. लगातार पतन के मार्ग पर चलते हुए हमारे समाज में मुफ्तखोरी की मानसिकता विकसित हो गई है. आज के युग में जब कोई व्यक्ति अपने जॉब के बारे में बात करता है तो उसकी तारीफ़ में अक्सर कहता है कि मुझे बहुत कम करना पड़ता है और अधिकतर खाली बैठा रहता हूँ अर्थात मुफ्त कि तनख्वाह लेना अच्छा माना जाता है. इसी कारण दफ्तरों में अक्सर किसी भी व्यक्ति का काम करने के बदले अलग से धन की मांग कि जाती है क्योंकि तनख्वाह के बदले काम करने की भावना तो समाप्त हो चुकी है. भ्रष्टाचार की ख़ास वजह भी यही मानसिकता है.

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