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30 जनवरी 2011

कोटा में बूचड़ खाने की राजनीति

कोटा में इन दिनों नगर निगम द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश और देश के कानून की पालना में अलग से बूचड़ खाना बनाने की राजनीति गरमा गयी हे इस मामले में जेन साधू भी सडकों पर आ गये हें और भाजपा इस पर हवा दे रही हे कल कोटा में इस मामले में रामपुर की एक सभा में बूचड़ खाना नहीं बनाने पर जोर दिया गया ।
कोटा में हजारों पशु रोज़ काटे जाते हें जिन्हें कोन खता हे सारा देश जानता हे देश में सबसे बढा म्शिनिक्र्ट कत्ल खाना अल कबीर की जेन साहब का हे सारा देश जानता हे , देश में सभी धर्मों को अपने तरीके से जीने का अधिकार हे यह कानून भी देश जानता हे , सब जानते हे के देश में कोई भी व्यक्ति अगर नंगा घूमता हे तो इसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता हे इसे गंदगी और अश्लीलता माना जाता हे लेकिन यही कम अगर धार्मिक आस्था के साथ सडकों पर किसी साधू संत द्वारा किया जाता हे तो जय जय कार के साथ इस नग्नता की पूजा की जाती हे सरकार इसकी इजाजत देती हे लेकिन दोस्तों जब तुम अपने धर्म के नाम पर कानून की भावना के खिलाफ धर्म की स्वतन्त्रता के अधिकार के नाम पर दुसरे धर्म की मां बहनों के सामने नग्न निकलते हो तो फिर दुसरे के धर्म को भी उसकी आस्थाओं के हिसाब से जीने की छुट दिया जाना चाहिए यह बात कानून में तो लिखी हे सुप्रीम कोर्ट ने मानी हे लेकिन खुद अपने गिरेबान में नहीं झाँकने वाले कुछ कथी साधू संत और उनके राजनितिक पीछ लग्गू जो धर्म के नाम पर सिर्फ चंदा और राजनीति करते हें वोह कोटा में एके नया बखेड़ा खड़ा करना चाह रहे हें । कोटा में महापोर जेन हें स्वायत शासन मंत्री ओसवाल हें लेकिन देश का कानून कहता हे देश का सुप्रीम कोर्ट कहता हे के बूचड़ खाना विधि नियमों के तहत होना चाहिए और अगर इस विधि नियम की पालना किया जाना हे तो किसी के पेट में दर्द क्यूँ होता हे और अगर होता हे तो फिर ऐसे लोगों के खिलाफ कानून को अपना काम करना चाहिए क्योंकि अगर दुसरे समाजों ने धर्म के नाम पर अपनी माता बहनों के सामने लोगों के नग्न प्रदर्शन पर एतराज़ जताना शुरू कर दिया तो फिर अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी इसलियें पहले लोग खुद अपने गिरेबान में झांके और अगर अज्ञानी हें तो देश के कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी पढ़ लें ताके वोह इस तरह की गुस्ताखियाँ नहीं करें जिससे माहोल में कडुवाहट क्योंकि यह हमारा देश हे और यहाँ कनून विधान के दायरे में सभी लोगों को जीने का हक हे अगर इसके खिलाफ कोई माहोल बनाता हे तो यह देश की सरकार देश के कानून के साथ विद्रोह और युद्ध माना जाता हे जिसकी सजा राज द्रोह के अपराध में सिर्फ और सिर्फ म़ोत हे और ऐसे में कानून तोड़ने वाला कोई भी किसी भी धर्म का हो कानून को अपना काम करना चाहिए अगर कानून ने अपना शासन स्थापित कर दिया तो फिर फर्जी मोलाना,फर्जी साधू संतों का जीना हराम हो जाएगा लेकिन यह तो मेरा देश हे जहां वोह लोगों को भड़का कर उकसा कर अवेध धन अख्ट्टा कर देश को अपनी चारा गाह बना बेठे हें ...... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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