हर सुबह
जब हम
तंदरुस्ती के साथ
उठते हें
वही
हमारी
नई जिंदगी
होती हे
जब
रोज़ सुबह
खुशनुमा
जिंदगी हे हमारी
तो फिर
कल की कडुवाहट को
क्यूँ याद कर
आज खराब करें हम
इसलियें
उठो जी लो
एक बार फिर
तुम भी
नई जिंदगी ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 जनवरी 2011
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Very nice poetry !
जवाब देंहटाएंJust live in present !