सोचता हूँ
तू मुझे
मिले ना मिले
तुझे पाने की
मुझ में
हमेशां आस रहे ,
नजरों ,निगाहों से
तू दूर चाहे जितना दूर रहे
लेकिन बस
ख्यालों में
मेरे साथ
मेरे पास रहे
तेरा मिलना
मेरा नसीब नहीं
फिर भी
तेरी चाहत
मेरा सिर्फ मेरा
ख़्वाब रहे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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