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29 दिसंबर 2010

चिट्ठी की धीमी गति पर माफ़ी मांगी

केन्द्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी की लिखी गयी एक चिट्ठी जो लिखी गयी पोस्ट की गयी लेकिन बंगाल के मुख्यमंत्री के पास पहुंचने के पहले ही अख़बार की सुर्खी बन गयी , इस मामले में जाँच के बाद पता चला के डाक विभाग ने चिट्ठी वक्त पर नहीं पहुंचाई और २४ दिसम्बर को पहुंची इस चिट्ठी का मज़मून पहले ही अख़बारों में छप गया इस लेट लतीफी के लियें डाक विभाग ने सरकार से माफ़ी मांग कर अपना पीछा छुड़ा लिया हे लेकिन दोस्तों जरा सोचो के अगर आम आदमी के इंटरव्यू लेटर या किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज के मामलों में ऐसा हो तो फिर आगे क्या होगा ।
देश में सरकार का डाक विभाग कितना लापरवाह और लेट लतीफ हे यह सारा देश जनता हे य्हना हर साल हजारों लोग इस विभाग की लापरवाही के कारण परीक्षा और इंटरव्यू मने बेठने से वंचित रह जाते हें लेकिन आज तक डाक विभाग के किसी अधिकारी के खिलाफ कोई खास कार्यवाही नहीं हुई हे इसके लियें देश के इंडियन पोस्ट ऑफिस कानून में बदलाव की सख्त जरूरत हे ताकि डाक वितरण की ज़िम्मेदारी तय हो सके और फिर जो भी डाकिया या कोई इसका उलंग्घन करे तो फिर उसे सबक सिखाया जाए आज हम देखते हें के डाकिये कई डाक बट्टे हें तो कई फेंक देते हें हालात यह हे के महत्वपूर्ण दस्तावेज भी यह लोग पक्षकार से सान्थ्गाथ कर वापस लोटा दे ते हें और इनकी इस कार्यवाही से अदालत के सेकड़ों मुकदमे प्रभावित हो जाते हें इसलियें डाक विभाग की ज़िम्मेदारी तय करने के लियें एक नया कानून बनना चाहिए जो कर्मचारियों को पाबन्द करे और नियमों की पालना नहीं करने पर उन्हें दंडित करने का भी प्रावधान हो इसके लियें डाक कर्मियों के भत्ते भी बढाये जा सकते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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