आपका-अख्तर खान

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01 दिसंबर 2010

तेरे दर्द को सीने से लगाता हूँ

हर एक दर्द
जो तुने
मुझे दिया हे
वोह
रोज़ सीने से
में लगाता हूँ
यह वोह दोलत हे
जिसे में
जिंदगी भर
अपने साथ
जाने वाली
दोलत पाता हूँ ।
देख वोह सिसकियाँ
जो दी थीं तुने
तोहफे में मुझे
आज उन्हीं
सिसकियों को
ट्रोफियों की तरह
बाज़ार में सजा कर
जश्न में मनाता हूँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

4 टिप्‍पणियां:

  1. सिसकियों को
    ट्रोफियों की तरह
    बाज़ार में सजा कर
    जश्न में मनाता हूँ ।

    अत्यंत भावनात्मक रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. भावमय करते शब्‍द ....बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. तुझसे मुझे प्यार न मिल सका तो क्या
    तेरी यादों पे सिर्फ मेरा हक, ये भी कम त्तो नही
    वोह सिसकियाँ जो दी थीं तुने मुझे सिर्फ मुझे
    वो भी किसी अनमोल मोती से कम तो नही
    कभी कभी दर्द भी बहुत खूबसूरत होता है

    जवाब देंहटाएं

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