हर एक दर्द
जो तुने
मुझे दिया हे
वोह
रोज़ सीने से
में लगाता हूँ
यह वोह दोलत हे
जिसे में
जिंदगी भर
अपने साथ
जाने वाली
दोलत पाता हूँ ।
देख वोह सिसकियाँ
जो दी थीं तुने
तोहफे में मुझे
आज उन्हीं
सिसकियों को
ट्रोफियों की तरह
बाज़ार में सजा कर
जश्न में मनाता हूँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 दिसंबर 2010
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सिसकियों को
जवाब देंहटाएंट्रोफियों की तरह
बाज़ार में सजा कर
जश्न में मनाता हूँ ।
अत्यंत भावनात्मक रचना
भावमय करते शब्द ....बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर!
जवाब देंहटाएंतुझसे मुझे प्यार न मिल सका तो क्या
जवाब देंहटाएंतेरी यादों पे सिर्फ मेरा हक, ये भी कम त्तो नही
वोह सिसकियाँ जो दी थीं तुने मुझे सिर्फ मुझे
वो भी किसी अनमोल मोती से कम तो नही
कभी कभी दर्द भी बहुत खूबसूरत होता है