आपका-अख्तर खान

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04 दिसंबर 2010

धुप के नाम पर

वोह बड़ी मुश्किलों में
आये पास मेरे
बेठे देखा
बतियाने लगे धीरे धीरे s
उन्होंने घबरा कर
इधर देखा उधर देखा
जब चारों तरफ लोगों को देखा
वोह शरमाये , इतराए , ल्द्ख्दाये
उठे होले से
बोले इधर सर्दी हे
उधर धुप हे
इसलियें सामने जाकर बेठ गये
बोले इधर गर्मी हे उधर सर्दी हे
मेने देखा तो जहाँ बेठे थे
वहां ना धुप थी ना गर्मी थी
बस वोह दूर थे मुझ से
समझ गया में
में ठंडा हूँ अब उनके लियें
में ठंडा हूँ अब उनके लियें
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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