तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे?
गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
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08 दिसंबर 2010
उनकी याद भी खूब तडपाती हे
उनकी याद भी कमबख्त अजीब हे आ तो रोज़ जाती हे बस फिर कमबख्त बहुत कोशिशों के बाद भी नहीं जाती हे रात की करवटें हों चाहे हो दिन की उदासी या हो हर वक्त की बेचेनी कमबख्त याद हे उनकी इसलियें मिलन की आस तडपाती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)
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