आपका-अख्तर खान

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08 दिसंबर 2010

उनकी याद भी खूब तडपाती हे

उनकी
याद भी
कमबख्त
अजीब हे
आ तो रोज़ जाती हे
बस फिर कमबख्त
बहुत कोशिशों के
बाद भी नहीं जाती हे
रात की करवटें हों
चाहे हो दिन की उदासी
या हो हर वक्त की बेचेनी
कमबख्त
याद हे
उनकी
इसलियें
मिलन की आस
तडपाती हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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