आज
मेला लगा हे
मजार पर
यादों के मेरे
हर शख्स , हर माशूक
यहाँ मोजूद हे
बस नहीं हे तो वोह
जिसे
हर दम
नजरें मेरी तलाशती हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 दिसंबर 2010
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यही होता है मजार पर सब होते है पर जो दूर चला गया वो कहां मिलता है....उसे नजरें तलाशती ही हैं
जवाब देंहटाएंhttp://veenakesur.blogspot.com/
dukhbhari magar sunder rachna.
जवाब देंहटाएंदर्दपूर्ण अभिव्यक्ति!
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