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17 दिसंबर 2010

गांधी की हत्या का सच छापना महंगा पढ़ा

भारत के राष्ट्रपति महात्मा गाँधी की हत्या में शामिल रहे अलवर महाराजा तेजसिंह और प्रधानमन्त्री को महात्मा गाँधी की हत्या के मामले में सहयोगी होने के कारण उन्हें नजरबंद रखा गया था इस सच को पिछले दिनों कोंग्रेस के दो वर्ष पुरे होने पर अलवर प्रशासन ने एक पुस्तिका में प्रकाशन किया था जिसे अलवर के ऐ डी एम ने सम्पादित किया था वर्तमान में अलवर के सांसद जितेन्द्र सिंह राहुल गाँधी के निकटतम होने से राजस्थान सरकार पर हावी हे और अलवर के आरोपित महाराजा के पोते भी हे , बस इसी लियें इस सच को जिसे कोंग्रेस के मंत्री बृजकिशोर शर्मा ने पत्रकारों के सामने स्वीकार था और एतिहसिकी तथ्य कहा था उसे तुरंत पलट दिया गया यह सच दूर तक नहीं पहुंचे इसलियें प्रकाशित किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया और इस पुस्तक को प्रकाशित करने वाले ऐ डी एम को अलवर से हटा कर सज़ा के तोर पर ऐ पी ओ कर दिया गया अब हुई ना मजेदार बात किसी शायर ने कहा हे के : यह झुन्ठों और मक्कारों की महफिल हे , सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे अगर जितेन्द्र सिंह राहुल के नजदीक नहीं हते तो आज उनके दादा का सच जनता के सामने होता और गाँधी के हत्यारे के सहयोगी नहीं होते तो भाजपा अब तक ना जाने क्या क्या बखेड़ा कर देती । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. अख्तर भाई,
    किसी के दादा ने कोई अपराध किया हो तो उस की पीढ़ियाँ अछूत नहीं हो जातीं। हो सकता है उस अपराधी की आने वाली पीढ़ियाँ अपराध की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें। लेकिन हम ही हैं जो किसी को यह कह कर बदनाम कर सकते हैं कि उस के पिता या पितामह ने अपराध किया था। इसी कारण राजनेता इन तथ्यों से मुहँ चुराते हैं। होना तो यह चाहिए कि पौत्र अपने पितामह के दामन के धब्बों को छुपाने के बजाए अपने कर्मों से धो डाले।

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