तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 दिसंबर 2010
मुझे सदमा काहे को होता ...
उनकी बेवफाई का
में यूँ
सदमा लिए
बेठा हूँ
जो हे मुझ से
बावफा
होता में
काबू में अगर उसके
तो फिर
काहे को मुझे
आज
यह सदमा होता .........
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
वाह क्या बात कही है।
जवाब देंहटाएं