क्यूँ कहते हो
के
पाँव में लगी थी
महंदी मेरे
क्यूँ कहते हो
रात बहुत थी
क्यूँ कहते हो
तेज़ बरसात थी
क्यूँ कहते हो
अंधी और तूफान था
यह तो सब बहाने हें
मुलाक़ात से बचने के
देख लिया हमने
ना महंदी थी
ना आंधी थी
नाही थी बरसात
बस कह दो
किस्मत में
नहीं थी
तुम्हारी और
मेरी मुलाक़ात ...............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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