हर मुश्किल में
साथ क्यूँ देते हें
केवल दोस्त ,
गम को
क्यूँ
बाँट लेते हें
दोस्त
ना खून का रिश्ता
ना हे रिवाजों
का बंधन
फिर भी
अपनों के
छोड़ देने के बाद
जिंदगी भर
साथ ही
क्यूँ
निभाते हें दोस्त ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 दिसंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
क्योँकि दोस्तो से दिल का रिस्ता होता है जैसे कि आपका और मेरा । बहुत बढ़िया । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ !
जवाब देंहटाएं