आज की इस
आधुनिक
दुनिया का एक बाप
जिसके पास सब कुछ हे
बस फिर भी
अय्याशी के लियें
वोह रोज़
नई नई बार गर्ल तलाश रहा हे
एक दिन
बहुत नई कमसिन बार गर्ल की
एक दलाल से उसने की डिमांड
बस फिर किया था
दलाल ने मनचाहे रूपये लियें
और दुसरे दिन
एक अँधेरे कमरे में जहां लाईट
थोड़ी देर पहले ही गयी थी
४ बेटियों के बाप को
साथ उस लडकी के
भेज दिया
हवस की आग में डूबा जब यह
बाप चेहरे से इस कमसिन लडकी के '
उठाया जब इसने नकाब
तो बस बिजली जो गुल हुई थी
एक फिर से आ गयी
कमरा हुआ रोशन
सामने जब
बेटी को
इस हाल में देखा
तो
शर्मिंदगी के
अँधेरे में
खो गया यह बाप ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 दिसंबर 2010
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यह तो बहुत सुन्दर और सचेत करती कविता है.
जवाब देंहटाएंपाखी की दुनिया में भी आपका स्वागत है.
sundar...bold our sachet karati kavita....vartamaan sthiti kaa aapne sahi mulyaankan kiya hai is kavita ke jariye.
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