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08 दिसंबर 2010

हिरासत में म़ोत अब गम्भीर मामला

पुलिस या न्यायिक हिरासत में अब किसी की भी म़ोत को गम्भीरता से लिया जाएगा और आरोपी को फंसी की सजा तक देने के प्रावधान रखा जाना प्रस्तावित किया गया हे , अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार सन्धी के बाद वर्ष १९९२ में भारत ने यातना विरोधी मसोदे पर हताक्षर किये थे जिसे देश में उसी वक्त लागू करना था जिसे आज तक लागु नहीं किया गया था लेकिन अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते भारत को इस यातना विरोधी सन्धी पर हताक्षर करने के वचन को निभाने के लियें देश में एक विधेयक तय्यार करवाना पढ़ा जिसमे यातना और यातना के बाद पुलिस हिरासत या किसी भी हिरासत में म़ोत के बाद दोषी के साथ क्या सुलूक किया जाये और पीड़ित के परिजनों को क्या लाभ फुन्हाया जाये इस पर मसोदा तय्यार हुआ हे जिसमें पीड़ित के परिजनों को कमसेकम एक लाख रूपये दिए जाने का प्रावधान और दोषी व्यक्ति को म्रत्यु दंड तक की सजा का प्रावधान प्रस्तावित किया गया हे । अभी यह विधेयक संसदीय समिति ने अंतिम रूप से पारित करने के लियें सहमती दे दी हे लेकिन यह विधेयक कब पेश होता हे कब पारित होता हे कब इस पर कानून बनता हे और कब लोगों को राहत मिलती हे यह सब अभी इस देश के लियें प्रतीक्षा का विषय हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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