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20 दिसंबर 2010

प्याज के आंसू ....

दोस्तों यह मेरा देश हे यहाँ आलू प्याज के दाम पर पहले सरकारें बदल जाया करती थीं लेकिन अब रोज़ प्याज के आंसू बहाने के बाद भी गरीबों को न्याय नहीं मिल पा रहा हे , हमारे देश में कहावत थी के गरीब दो रोटी पर प्याज से पेट भर लेता हे लेकिन अब सेब सस्ते हें और प्याज महंगी हो गयी हे । देश में सरकार का खाध्य विभाग और क्रषि विभाग द्वारा मुनाफा खोरों और जमा खोरों को खुली छुट देने के कारण ही खाध्य पदार्थों के भाव आसमां पर हे कहने को तो गरीब पहले दाल से खाने की बात करते थे और दाल खाना गरीबी का प्रतीक माना जाता था लेकिन अब चटनी की बात चली तो लहसुन महंगा हो गया और फिर प्याज की बात चली तो प्याज के भाव सातवें आसमान पर हे , इसके पूर्व अटल बिहारी सरकार में प्याज अस्सी रूपये किलो बिक चूका हे उस वक्त तो पोकरण विस्फोट की मजबूरी थी लेकिन अभी तो बस कालाबाजारी और मुनाफाखोरी ही इस मामले के लियें ज़िम्मेदार हे ऐसा लगता हे के सरकार ने कीमतों को नियंत्रित नहीं किया हे और इस छुट के चलते जनता कसाइयों के हवाले कर दी गयी हे इसी कारण आज जनता से हर खाने पीने की चीज़ की मुंह मांगी कीमत वसूली जाने लगी हे और सरकार हे के खामोश अपनी जीत का जश्न मना रही हे अगर यही हाल रहा तो देश में एक दिन गरीब की भूख सर चढ़ कर बोलने लगेगा और सडकों पर जनता नेताओं से निपटेगी .... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. मैंने भी महसूस किये हैं जी प्याज के आंसू.... मेरी पोस्ट पर भी.

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