आपका-अख्तर खान

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07 दिसंबर 2010

फिर भी क्या मुझ से प्यार हे ....

में तेरे लियें
ना तारे तोडूंगा
ना ही में
तेरे लियें
चाँद लाऊंगा ,
में तुझ से
तुझ पर जान देने
और तेरे लियें
किसी की
जाना लेने का
वायदा भी
नहीं करूंगा
में तू जो हे
तेरे लियें बस
यही सच कहूंगा
मुझ से
तुझे उम्मीद हो अगर
के में तुझे
दुनिया की सबसे खुबसुरत कहूँ तो
तो यह भी
में ना कर सकूंगा
में तेरे लियें
तख्त ओ ताज ठुकरा दूँ
ऐसा भी नहीं कहूंगा
बस इतना सा हे
के जो दुसरा तुझ से
करेगा प्यार
उसे कई गुना प्यार में तुझ से करूंगा
क्योंकि में ऐसा ही हूँ
बोल क्या
तुझे इन शर्तों पर भी
हे मुझ से प्यार ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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