आपका-अख्तर खान

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08 नवंबर 2010

यह आंसू नहीं ................

वोह
नदिया
नहीं थीं
आंसू थे
मेरे
जिस पर
दोस्त बनकर
तुम
कश्ती
चला रहे हो
मंजिल मिले
तुम्हे
यही चाहत थी
मेरी
इसलियें
नदी
कहीं सुख ना जाये
बस आंसू
बहाते रहे हें
हम।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

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