ऐ समुन्द्र
सेकड़ों नदियों को
पीकर भी
बुझती नहीं
तेरी प्यास
तू ही बता
तेरी प्यास क्या हे
ऐ समुन्द्र
ना जाने
कितना खजाना
छुपा हे
तुझ में
फिर भी
तू ही बता
तेरी आस क्या हे
ऐ समुन्द्र
तू ही बता
तेरी प्यास किया हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 नवंबर 2010
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सम्वेदनायें भी कागज पर उतर सकती हैं... वाकई.
जवाब देंहटाएंगहरी बात कह दी आपने। नज़र आती हुये पर भी यकीं नहीं आता।
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