एक सुबह
आज ऐसी भी हे
ना वोह हें
ना उनकी याद
फिर भी
देखों
आँख में
मेरे आंसू हें
ना चेहरे पर
मेरे उदासी हे
आज एक
सुबह
ताजगी भरी
ऐसी भी हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 नवंबर 2010
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... bahut badhiyaa ... behatreen !!!
जवाब देंहटाएंसब दिन होत न एक समाना ...
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