आपका-अख्तर खान

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23 नवंबर 2010

यह मोसम बरसात की .....

यह मोसम
बरसात की
फिर भी
ख़्वाब मेरे
अधूरे से क्यूँ हे
वोह मिलते हें
मुझ से
देखते हें
मुस्कुराते हें
इठलाते हें
फिर भी
उनसे मिलन की
आस के सपने
अधूरे से
क्यूँ हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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