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28 नवंबर 2010

जज अंकल पर सुप्रीम कोर्ट भडकी

इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फेसले के खिलाफ सुनवाई करते वक्त फेसले में जब मनमानी और पक्षपात की गंध सूंघने को मिली तो जस्टिस काटजू और ज्ञान सुधा मिश्रा ने फेसला उलटते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में गंदगी फेलने की टिप्पणी करते हुए इसकी सफाई करने की सलाह दे डाली । कानून मंत्री वीरप्पा मोइली कल राजस्थान में इस मामले की गम्भीरता समझ कर आश्वासन देकर गये हें के अगर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी में किसी का नाम हुआ तो कार्यवाही की जाएगी , लेकिन रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जजों ने इस टिप्पणी को बेमानी करार दिया हे उनका कहना हे के कहीं भी अगर भ्रष्टाचार हे तो उस मामले में नामजद टिप्पणी करना चाहिए और अगर नामजद टिप्पणी नहीं हे तो फिर किस के खिलाफ कार्यवाही हो कुछ नहीं कहा जा सकता और ऐसी टिप्पणियाँ गेर वाजिब हें जो केवल सनसनी फेलाने के लियें हो जिन का कोई सार नहीं हो यह विवाद तो अपनी जगह हें लेकिन देश की सभी हाईकोर्ट जजों के बच्चों और रिश्तेदारों के मामले में संदेह के घेरे में जरुर आये हें और अंकल जज के नाम से कुछ लोगन ने इसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष व्यापार बना लिया हे इसलियें अगर रिश्तेदार और जजों की कोल डिटेल निकले तो बस खुद ही सार समझ में आ जायेगा या किस वकील के पक्ष में किस जज ने कितने फेसले लगातार दिए इससे भी पोल खु जाती हे लेकिन ऐसी जांच का अभी तक कोई कानून नहीं बना हे इस कारण अंकल जजों और भतीजे वकीलों के मजे हें अगर इन मामलों की जांच के लिए प्र्भाव्शालाई कोई योग बन जाये तो बस तस्वीर ही दूसरी होगी जो होना चाहिए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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