आपका-अख्तर खान

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19 नवंबर 2010

हर साँस में तुम हो फिर भी ...

हर सांस में
एहसास तेरा
हर धडकन में
वुजूद तेरा
फिर भी
क्यूँ
तुझे
खो देने का
डर मुझे
सताता हे
तेरा यूँ
रूठ जाना
तेरा यूँ
मुझ से
अलग हो जाना
तुझ से
अलग
होने के बारे में
मुझे
न जाने क्यूँ
चेताता हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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