आपका-अख्तर खान

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03 अक्तूबर 2010

हमें एक होना हे

हमें केवल तख्त पर एक नहीं होना हे ,
अपितु वक्त पर भी एक होना हे ,
अक्सर हम तख्त पर तो एक हो जाते हें ,
लेकिन जब वक्त आता हे ,
तो धीरे से खिसक लेते हें,
यदि देश के संत मुनि-आचार्य
तख्त और वक्त पर एक हो जाएँ
तो साज और देश का काय कल्प हो जाए ।
मुनि तरुण सागर जी के भाषणों का अंश।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

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