आपका-अख्तर खान

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02 अक्तूबर 2010

तन्हाई की याद

याद
किसे कहते हें
जो तन्हाई में
चोरी चुपके आये
वोह याद
नहीं होती,
याद तो
वोह होती हे
जो भरी महफिल में
बेठे हों हम
घिरे हों लोगों से
और फिर ऐसी आये
के बस तन्हा
और तन्हा
कर जाए ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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