तुम सोचते हो
जो कुछ हे
तुम्हारे हाथ में हे
तुम सोचते हो
में चाहूँगा जो होगा
लेकिन सच यह हे
के होता वोह हे जो
खुदा करता हे
तुम्हारे सोचने से कुछ नहीं होता हे
रावण को देखो
उसने सोचा था
समुन्द्र का जल
वोह मीठा कर देगा
रावण ने सोचा था
चन्द्रमा का कलंक निकल देगा
स्वर्ग तक सिड़ी लगा देगा
लेकिन जरा सोचो क्या वोह कुछ ऐसा कर सका
उसके पास तुम हम से कहीं अधिक
शक्ति थी ,सम्पत्ति थी , बुद्धि थी सब कुछ था
लेकिन सोचो
उसके पास मानवता नहीं थी
उसके पास त्याग नहीं था
उसके पास समर्पण नहीं था
और इसीलियें उसके पास सब कुछ होने के बाद भी
कुछ नहीं था
वोह अकेला था
लंका जल गयी
वोह तडप तडप कर मरा
तो फिर हम क्यूँ और किस बात का घमंड करते हें
क्या हम रावण की तरह विद्वान हें
क्या हम उसकी तरह वीर हें
क्या हम उसकी तरह धनी हें
अगर नहीं तो फिर
आज ही अपना गुरुर घमंड त्यागें
भाईचारा ,सद्भावना अपनाएँ और सोचें
कोई हे जो इस दुनिया को चला रहा हे
इसीलियें करो वोह जो इश्वर चाहता हे
फिर वोह होगा जो तुम चाहते हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 अक्तूबर 2010
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सही कहा जब इंसान ये जान लेगा उसके बाद सारी समस्याओ का अन्त हो जायेगा।
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