आपका-अख्तर खान

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20 अक्तूबर 2010

में हंसना सिखाता हूँ

देखो में हूँ
जो रोते हुए
लोगों को
हंसना सिखाता हूँ
क्यूंकि आज
इंसान हे के
हंसना ही भूल गया
और यही वजह हे
के आज
दुनिया में
पाप ही पाप हें
आप सब जानते हें
जो हंसता हे
बस वोह हंसता हे
हंसता हुआ आदमी
कभी पाप नहीं करता
सारे पापों की जद
काम वासना और क्रोध हे
यह हे तो समाज में दुःख और उदासी हे
नहीं तो बस बल्ले ही बल्ले हे
दोस्तों सोचो
अगर हम ऐसा माहोल बनाये
चारों तरफ
हंसती खिलखिलाती
महकाती मुस्कुराहट
ठहाके और हंसी हो
तो जनाब देख लेना
यहाँ पाप का खुद बा खुद
प्रतिशत गिर जाएगा
उदासी और क्रोध
का धुंआ हट जाएगा
तो दोस्तों उठो
समाज और देश
और देश वासियों को
उनकी खोई हुई हंसी
लोटाना ही अपना लक्ष्य बना लो
इस देश इस समाज
की हंसी फिर से लोटा दो मेरे यारों ।
में तुम से कहता हूँ तुम तो सभी की तमन्ना
पूरी करते हो
टूटे हुए तारों ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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