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27 अक्तूबर 2010

अधमरा तडपता समाज

यह अधमरा
तडपता ज़िंदा समाज
ना मुर्दा हे
ना ज़िंदा हे
में इसे
ना दफना सकता हूँ
ना जला सकता हूँ
बस इस समाज में
साँस ही सांस हे
लेकिन
में चाहता हूँ
यह समाज या तो
पूरी तरह से मर जाये
ताकि हम दुसरा नया
जिंदा समाज बना सकें
या फिर यह समाज
खुद ज़ोंदा हो जाए
ताकि हम इस समाज से
देश को बचा सकें
आप क्या सोचते हें
प्लीज़ बताओं ना।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. यह समाज या तो
    पूरी तरह से मर जाये
    ताकि हम दुसरा नया
    जिंदा समाज बना सकें
    या फिर यह समाज
    खुद ज़ोंदा हो जाए
    ताकि हम इस समाज से
    देश को बचा सकें
    BAHUT KHUB ............

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