यह अधमरा
तडपता ज़िंदा समाज
ना मुर्दा हे
ना ज़िंदा हे
में इसे
ना दफना सकता हूँ
ना जला सकता हूँ
बस इस समाज में
साँस ही सांस हे
लेकिन
में चाहता हूँ
यह समाज या तो
पूरी तरह से मर जाये
ताकि हम दुसरा नया
जिंदा समाज बना सकें
या फिर यह समाज
खुद ज़ोंदा हो जाए
ताकि हम इस समाज से
देश को बचा सकें
आप क्या सोचते हें
प्लीज़ बताओं ना।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 अक्तूबर 2010
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यह समाज या तो
जवाब देंहटाएंपूरी तरह से मर जाये
ताकि हम दुसरा नया
जिंदा समाज बना सकें
या फिर यह समाज
खुद ज़ोंदा हो जाए
ताकि हम इस समाज से
देश को बचा सकें
BAHUT KHUB ............