तुम्हारे पास मकान हे
फिर भी तुम दुखी हो
दुखी सिर्फ इसलियें
के तुम देखते हो
और सोचते हो
पड़ोसी का मकान
इतना बढा क्यूँ हे
तुम दुखी हो
दुसरे के सुख के कारण
तुम तुम्हारे दुःख से
ज्यादा दुखी हो ।
इसलियें सोचो
जिसके पास जो हे
वोह तुम्हारा नहीं
तुम्हारे पास जो हे
वोह तुम्हारा हे
उसी में सुख भोगो
यानी जियो और जीने दो
के सिद्धांत पर थोडा चलो तो सही ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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