तू ही बता
प्यार का नक्श
जो लिख दिया
मेरे सीने पर तुने
उसे
अब में
मिटाऊं केसे ,
जख्म जो तुने दिए हें
बता कोन हे
उन पर लगाने
वाला मरहम
नाम उसका बता
अपने जख्म
उसे बताऊं केसे ।
जूनून तो
मुझ में
अब भी हे
लेकिन सामने तू हे
तेरे सामने
तूफ़ान उठाऊं केसे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 सितंबर 2010
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कविता तो बढ़िया बन पड़ी है दोस्त
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