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01 सितंबर 2010

नक्सली के कब्जे में चार परिवारों की जान

बिहार के नक्सलियों ने चार पुली कर्मियों का अपहरण कर लिया हे उन्होंने आज चार बजे तक अपने कुछ साथियों को छोड़ने की शर्त रख थी और शर्त नहीं मानने पर इन चारों पुलिसकर्मियों को जन से मारने की धमकी दी थी अब चर बजे का वक्त खत्म हो चूका हे वार्ता का क्या डोर रहा सरकार क्या कदम उठा रही हे यह किसी को पता नहीं होने से स्थिति असमंजस की बनी हुई हे , बंधक पुलिसकर्मियों के रोते बिलखते परिजन बे सुध हालत एन उखी मंत्री निवास के बहर हें लेकिन उनका कोई धनी ढोरी नहीं बन रहा हे , इस कारण मीडिया सहित आम जनता में बिहार सरकार के मेनेजमेंट को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हें । वेसे बंधक परिवारों में से किसी ने भी देश के लियें मर मिटने के नारे को बुलंद नहीं किया हे करते भी केसे देश मन अब राष्ट्रीयता का जज्बा किसी में कहां बचा हे हर शख्स चाहता हे के भगत सिंह और चन्द्र शेखर आज़ाद खुद के घर में नहीं बलके पडोस के घर में पैदा हों। में या आप हो सच यही हे के अगर किसी के परिजन को बंचक बना कर अगर कोई शर्त रखी जाये तो मेरी या आपकी प्राथमिकता किसी भी कीमत पर अपने परिजन को चुदाना होगी देश की राष्ट्रीयता मेरे और आपके लियें दुसरे नम्बर की होगी और यही सोच हमारे देश के लियें घातक हे खुदा बकराईद के कुर्बानी को महीने की तरह से हर शख्स में देश के लियें कुर्बान होने का जज्बा भर दे बस ऐसे हालातों में यही दुआ हे मेरी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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